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विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस (विशेष- छात्रों के अधिकार के सम्बन्ध में दृष्टिकोण)


बोलने के लिए तो ग्राहक भगवान समान होता है लेकिन उत्पादक अपने ही भगवान रूपी ग्राहक को सबसे ज्याद चूना लगाता आ रहा है, वैसे ग्राहक की सेवा के लिए उत्पादक तैयार रहता है, परन्तु ग्राहक को सेवा के बदले धोखाधडी कर लाभ की होड मे उनके अधिकारों का उलंघन करता है 

आज हम उपभोक्ता के रूप में विद्यार्थियों को देखते है, जो वर्तमान में विद्यालयों व गैर सरकारी संस्थानों से शिक्षा का उपभोग करते है, लेकिन आज अधिकांश विद्यालयों के शिक्षक ( उत्पादक) अपने विद्यार्थियों (उपभोक्ता) के साथ न्याय संगत शिक्षा का प्रदान नही करते हैं जिससे विद्यार्थी रूपी ग्राहक अपने उत्पादको से सन्तुष्ठ नही हो पाते हैं 

बोर्ड परीक्षाएं नजदीक है लेकिन विगत वर्षो की भांति इस वर्ष भी अधिकांश बच्चों की पाठ्यक्रम पूर्ण नही हो पाया है, जिसमें से कुछ कक्षाओ में तो 50% तक पाठ्यक्रम को नही पढाया गया है, हालांकि गत वर्ष कोरोना काल के तहत विद्यालय व्यवस्था अस्तव्यस्त रही फिर भी पिछले 4-5 माह से विद्यालय बोर्ड के विद्यार्थियों के लिए खुल चुके थे, तब से अब तक 5-10 अध्याय वाली पुस्तकों से केवल 2-3 ही अध्याय बच्चों को पढाये गये है वो भी बिना सन्तुष्ठ किए 

सन्तुष्ठ करने से मेरा तात्पर्य है- 
कुछ शिक्षक अध्यायों को किताब से पढ कर अनुवाद कर बच्चों को पढाते है जबकि बीएड ट्रेनिंग के तहत साफ तौर पर बताया जाता है कि केवल मात्र भाषा की विषय को पुस्तक से पढाया जा सकता है, अन्य सभी विषयों को लेशनप्लान के अनुसार पढाना है 

उसके साथ ही कुछ बच्चों के विशेष आग्राह पर भी विषय अध्यापक बच्चों को पढाने से यह कह कर टालबरायी करते आ रहे है कि तुम्हे आता ही नही तो, क्या पढाना

ऐसे में वर्तमान उपभोक्ता हमारे राष्ट्र निर्माता जिनका भविष्य वर्तमान कक्षाओं मे पल रहा है ऐसे विद्यार्थियों को अपने शिक्षकों से सन्तुष्ठी कैसे हो पायेगी ? जिसके लिए आज के विद्यार्थियों व अभिभावकों को उपभोक्ता अधिनियम की जानकारी के लिए जागरुक होना चाहिए 

क्या है उपभोक्ता अधिनियम?
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 वस्तुओं या सेवाओं में कमियों और दोषों के खिलाफ उपभोक्ताओं के हित को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करना चाहता है। इसका उद्देश्य अनुचित या प्रतिबंधात्मक व्यापार प्रथाओं के खिलाफ उपभोक्ता के अधिकारों को सुरक्षित करना है।

नोट- सेवाओं का तात्पर्य यहां शिक्षक द्वारा शिक्षा की सेवा प्रदान करने से लिया जाना चाहिए

उपभोक्ता अधिनियम हमें कुछ अधिकार प्रदान करता है जो इस प्रकार है- 

सुरक्षा का अधिकार
सूचना का अधिकार
चयन का अधिकार
सुने जाने का अधिकार
निवारण का अधिकार
उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार

विद्यार्थियों के अनुसार यह अधिकार इस प्रकार होने चाहिए

सुरक्षा का अधिकार:- सुरक्षा के अधिकार का अर्थ है विद्यार्थियोंं को दी जाने वाली शिक्षा क्या उनके भविष्य की सुरक्षा करती है अर्थात गुणवत्ता युक्त शिक्षा

सूचना का अधिकार:- सूचना के अधिकार का तात्पर्य है कि विद्यार्थियों को पूरे वर्ष जो शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए उसके लिए लिखित सूचना हो कि विद्यालय पूरे साल इन इन पाठ्यचर्याओं को पूर्ण करवायेगा की नही

चयन का अधिकार:- चयन के अधिकार में विद्यार्थियों के पास चयन की सुविधा होनी चाहिए कि उनको कब और कितने समय मे पाठ्यचर्या पूरा करवाया जाये और शिक्षक द्वारा गुणवत्ता युक्त शिक्षा दी जाये

सुने जाने का अधिकार:- सुने जाने का अर्थ है जिस प्रकार आज के विद्यालयों में विद्यार्थियों को कुछ भी नही पढाया जा रहा उसके लिए विद्यार्थी या अभिभावकों के लिए ऐसे मंच या शिकायत केन्द्रों की व्यवस्थाा होनी चाहिए जहां शिक्षकों की मनमानी को रोका जाये

निवारण का अधिकार:- शिक्षकों की मनमानी पर विद्यार्थियों के कहने व गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्रदान न करने की शिकायत पर उचित निवारण व्यवस्था होनी चाहिए

उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार:- उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार का तात्पर्य है कि जीवन भर विद्यार्थियों को ज्ञान और कौशल प्राप्त करने की शिक्षा प्रदान हो

ये अधिकार अन्तराष्ट्रीय स्तर पर उपभोक्ताओं के लिए दिए गये है फिर भी इन नियमों की अनदेखी कर उपभोक्ताओं का शोषण किया जाता आ रहा है जिसके लिये जागरुकता की कमी जिम्मेदार है 

आज का विद्यार्थी उपभोक्ता है जो विद्यालयों मे शिक्षा का उपभोग करने जाता है लेकिन दुर्भाग्य है हमारे राज्य के विद्यार्थियों का कि उन्हें उनके हक की शिक्षा प्राप्त नही हो पाती 

जब पूरे साल भर शिक्षकों द्वारा बच्चों का पाठ्यचर्चा पूरा नही किया जाता,ऐसे शिक्षक जो बच्चों को नियमित रूप से न पढा कर बच्चों को नकल के लिए प्रोत्साहित करते है, और फिर धडल्ले से नकल कर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड किया जाता है


विचारक:-

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