Ticker

6/recent/ticker-posts

भारत में लोगों के समय की कोई कीमत नही है


भारत एक घनी आबादी का देश है जहॉ विश्व की दूसरी सबसे अधिक जनसंख्या निवास करती है, जनसंख्या को व्यवस्थित रखने व सरकारी कार्यप्रणाली को चलाने के लिए अलग-अलग सरकार नये-नये नियम बनाती है जिसको पूरा करने के लिए सरकारी दफ्तरों में काम करवाने की मारामारी के चलते भारत की 125 अरब जनसंख्या कागजी संशोधन के लिए आये दिन किसी न किसी दफ्तरों में अपने कागजी कामों हेतु लाइन में खडी रहती है,

कागजी कामों के लिए सरकार द्वारा बडा ही तंग तंत्र बनाया जाता है जिसमें एक ब्लॉक पर एक दफ्तर बना होता है और छोटे-छोटे कामों के लिए कई दिन लग जाते है, सरकार द्वारा नये संशोधनों की मांग के लिए लोगों को अपने कई घण्टे बर्बाद करने पडते है जैसे अपने देश मे समय मायने ही नही रखता हो,

यूरोपियन देशों और विकासशील राष्ट्रों में प्रतिव्यक्ति समय की अधिक कीमत होती है और वहां की सरकार व्यक्तियों के समय की कीमत जानती है जो हर काम में समय को देख कर काम करती है, उन राष्ट्रों के लोग भी समय को बचाने के लिए हर काम में इजी तकनीकी का प्रयोग करते है वहां लोग खाना बनाने के समय को बचाने के लिए डिब्बा बन्द सामाग्री का प्रयोग करते है जो अधिक समय बर्बाद न करने के लिए चुना जाता है

भारत में भी कुछ भोज्य पदार्थों को समय की बचत के लिए डिब्बा बन्द कर विदेशी कंपनियां उपलब्ध करवाती है जैसे मैगी पास्ता पीजा चाउमीन इत्यादि लेकिन अपने ही देश की सरकार सत्तात्मक राजनीति के लोभ मे व हमारे द्वारा ऐतिहासिक काम करवाये जाने के चक्कर में लोगों को लाइनों में खडा करना एक काबीलेतारीफ समझते है

देश में पहले वोटर आई.डी (पहचानपत्र) भी था जो एक बार बन गया तो बन गया फिर लोगों को कोई समस्या नही लेकिन अब आधार कार्ड जरूरी कर दिया जिसके कारण लोग लम्बी-लम्बी कतारों में खडे हुए,फिर एक ही आधारकार्ड केन्द्रों बना कर आधार कार्ड संशोधन के लिए केन्द्रो के चक्कर काटते है

फिर नोटबन्दी आयी जिसने लोगों का जीना खाना हराम कर दिया,सुबह से शाम तक लोग बैंकों की लाइनों मे लगा कर अपने पैसों को सफेद करने की कोशिश करते रहे, अचानक आयी नोटबन्दी की आपदा लोगों को परेशान करने के लिए ही थी जबकि काली दौलत तो सफेद नही बन पायी पर आम जनता का क्या लगेगी लाइनों पर उनके पास तो टाइम ही टाइम है

और अब तो सी.ए.ए, एन.सी.आर के लिए लोगों के समय बर्बाद किये जायेंगे जिसमे आम जनता अपने दैनिक कामकाज को छोडकर अपने कागजों को ही बनाते रहेंगे तो आजीविका के लिए कैसे समय बचेगा जहां अपने आप को देश का नागरिक साबित करने के लिए इतनी चुनौतियों से गुजरना पडेगा 

Post a Comment

0 Comments