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भारत में युवा भटक रहे है



भारत में पिछले कुछ सालों से युवा अपने मार्ग से भटक चुके है और भविष्य के युवाओं को भटकाना जारी है, जी हां हमारे देश के युवाओं के पास अपना लक्ष्य नही है वो केवल बगावत के रास्ते पर चल रहे है, भारत में पिछले 6 सालों से बेरोजगारी चरम सीमा पर है जिसका प्रभाव युवाओं की सोच को बदल रहा है अब अधिकांश युवा राजनीति के मार्ग पर चल रहे है क्योंकि उनके पास स्थाई रोजगार नही है और यही कारण है कि युवा राष्ट्र होने के बावजूद भी भारत विकास के मार्ग पर ही है अथवा विकासशील राष्ट्र मे गिना जाता है



वर्तमान सरकार कट्टरपंथी सरकार है जो हमें आपस में बैर करना सिखला रही है जबकि हमारी अनेकता में एकता यही सिखलाती थी कि "हम एक है" परन्तु कुछ सालों में लोगों के दिलो-दिमाग में एक ही देश के लोगों के प्रति मन मुटाव अधिक देखने को मिल रहा है, यदि हम अपने देश के मुस्लिम  समाज के लोगों को प्रताड़ित करेंगे तो ये कहा का न्याय है?

अब ऐसा तो नही कि कुछ असामाजिक तत्वों की वजह से पूरे समाज को गलत बताया जा सकता है, फिर तो हमारे हिन्दू भाई भी असामाजिक है फिर हम सही कैसे?

योगी जी कट्टर हिन्दू है लेकिन हमारे शिव तो सभी प्राणियों को समान मानते है फिर कहॉ ये बोला गया है या लिखा गया है कि केवल अधिकार या प्राथमिकता हिन्दुओं को ही है 



आज हिन्दू-मुस्लिम लड रहा है,मर रहा है, मार रहा है इसका कारण क्या है? हमारे ही नेताओं ने ये आग लगाई है जो अब तक जल रही है जिसमें आज का युवा सीने मे शोले लिए घूम रहा है, जबकि युवाओं के भ्रमित करने की बजाए उन्हें रोजगार मे व्यस्त रखों तब ही राष्ट्र का विकास हो पायेगा.

वरना वो दिन दूर नही जब हर युवा अपराधी होगा और सस्ता में बैठे लोग जो युवाओं को भ्रमित कर रहे है उनकी औलाद सांसद विधायक बन जायेगी और तुम्हारा बेटा,भाई, पति अपराधी

सागर सुनार बूढाकेदारिया 

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