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सरकारी विद्यालय में बच्चों को पढाने की प्रेरणा के दो किस्से

कोविड-19 के चलते जब सबका रोजगार छिन चुका है तब एक विचार मन में आया कि-

आमतौर पर देखा जाता है कि लोग नौकरी तो सरकारी करना चाहते है लेकिन सरकारी विद्यालय में अपने बच्चों को पढाना नही चाहतेसरकारी अस्पतालों में इलाज करना नही चाहते हैं, 

लेकिन एक शिक्षक ऐसे भी है जो सरकारी नौकरी भी करते है और अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय में ही पढाते है, जी हां मेरे परिचितों मे से एक उतराखण्ड आयोग द्वारा प्रवक्ता बैच से भूगोल के प्रवक्ता है

सरकारी विद्यालयों के प्रति सकारात्मक व सरकारी कार्यप्रणाली को महत्वपूर्ण विचार के चलते इनके दो बालक प्राथमिक विद्यालय में पढते है, 
2018 में सरकारी नौकरी लगने के बाद जब इनसे पूछा गया कि क्या आप अपने बच्चों को पढाई के लिए देहरादून शिफ्ट नही करेंगे तो इनका सरल स्वभाव में अटल विचार था कि- मेरे बच्चे सरकारी विद्यालय में ही पढेंगे, क्योंकि यदि हम ही सरकारी विद्यालयों को महत्व नही देंगे तो आने वाले भविष्य में अपने बच्चों के लिए कैसे उम्मीद करेंगे कि वह सरकारी कर्मचारी बनें.

वहीं छत्तीसगढ़ के आईएएस अफसर (कलेक्टर) अवनीश कुमार शरण जी ने अपनी 5 वर्षीय बिटिया का दाखिला कवर्धा जिले के सरकारी विद्यालय मे करवाया है, जिसके लिए सभी लोगों ने अवनीश जी के इस फैसले की जमकर तारीफ भी की थी कि यदि सभी विभाग के सरकारी कर्मचारी यदि अपने बच्चों के दाखिले सरकारी विद्यालयों मे करवाते है तो सरकारी विद्यालयों की दुर्दशा, स्वदशा में बदल जायेगी.

और कुछ आदर्श शिक्षक ऐसे और भी है जो अपनी तनख्वाह से सरकारी विद्यालयों की दशा बनकर पूरे देश में एक प्रेरणा बने है कि लोग प्राइवेट की लूट-खसूट से बचकर सरकारी विद्यालयों की और विश्वास व ध्यान देंगे,

अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश लोग सरकारी विद्यालयों की अपेक्षा गैर सरकारी (प्राइवेट) स्कूलों को अधिक महत्व देते हैं और ये सरकारी प्रणाली की लापरवाही की वजह से वाजिब भी है, जिस प्रकार हमारे प्रदेश में सरकारी विद्यालय दम तोड रहे है ( अधिकांश विद्यालयों में शून्य नामांकन के कारण बन्द होते स्कूल) तो अभिभावकों के पास अन्य विकल्प नही बचता प्राइवेट के अलावा.

जिसका मुख्य कारण है कि जो अभिभावक जागरुक है व अपने बच्चों को सरकारी विद्यालय नही भेजते और जो बच्चें आज अधिकांश उतराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों के सरकारी विद्यालयों में पढते है वो या तो मजदूर अभिभावकों के बच्चे है या प्रदेश में रोजगार के लिए आये बिहार, नेपाल के अभिभावकों के बच्चे पढते है, जिस वजह से सरकारी शिक्षक नियमित व व्यवस्थित रूप से बच्चों को नही पढाते कारण कि अभिभावक जागरुक नही है तो सब चलता है 
लेकिन यदि मेरे मित्र जैसे सरकारी कर्मचारी अभिभावक व सुर्खियों में रहे छत्तीसगढ़ के आईएएस (कलेक्टर) अवनीश कुमार शरण की तरह अपने बच्चों का दाखिला सरकारी विद्यालय में करवायेंगे तो निसन्देह हमारे बच्चों का भविष्य आने वाले समय में सरकारी स्कूल ही होंगे 
जिसका उदाहरण दिल्ली के सरकारी स्कूल है जो लंडन की तर्ज पर बने है 
इसका मतलब जो पढाई लंडन के विद्यालयों मे होती है वह हमे यहीं मिलनी शुरू हो जायेगी 

और दूसरे दृष्टिकोण से देखा जाए तो प्राइवेट विद्यालय सैलरी पैकेज में कटोती के चक्कर में बिना डिग्री व टीईटी क्वालिफाइड स्टाफ रखते है जो बच्चों को चाइल्ड साइक्लोजी के अनुसार नही पढाते,
जबकि सरकारी विद्यालय में अध्यापक वही है जो केन्द्र व प्रदेश  की अध्यापक पात्रता को पास कर चयनित होते है, उनकी पढाई अपने आप ही प्रभावी होगी.

लेकिन ये साधारणता अभिभावक नही समझते न ही सोचते है बस मस्तिष्क में सेट है कि बच्चे पढाने है तो प्राइवेट में फिर चाहे गुणवत्ता हो या ना हो या शिक्षक क्वालिफाइड हो या ना हो सब चलेगा, मन में सन्तुष्टि है कि बच्चा महंगे विद्यालय में है, घर मौहल्ले व समाज में स्टेटस बन गया कि बच्चे तो प्राइवेट पढते है फिर चाहे बच्चा भविष्य में कुछ न करे,बने पर पढा तो प्राइवेट मे है 

एक अभिभावक के दृष्टिकोण से मेरे व्यक्तिगत विचार है कि- बच्चा कहीं से भी पढे लेकिन बच्चे मे नैतिक व सामाजिक विकास के साथ-साथ बच्चे का कामयाब होना जरूरी है 
उदाहरण ले लीजिए- वर्तमान में टिहरी के जिलाधिकारी जो माटी के जुडे लाल मंगेश घिल्डियाल से प्रसिद्ध है वो भी सरकारी विद्यालय से पढकर आज सूबे के सबसे बडे अधिकारी की पोस्ट पर कार्यरत है 

बच्चे का भविष्य प्राइवेट सरकारी विद्यालय से नही बल्कि सही व गुणवान मार्गदर्शन वाली शिक्षा पर आधारित होता है

"आये एक मुहिम की शुरुआत करें 
अपने बच्चों के दाखले करवाकर 
सरकारी विद्यालयों के नामांकन बढाने मे सहयोग करें "

"जब सरकारी विद्यालय,अस्पताल बचेगें तब 
तो हमारे बच्चे सरकारी नौकरी लगेंगे"

विचारक सागर सुनार बूढाकेदार 
एम ए (भूगोल) 
बीएड (टीईटी क्लालिफाइड) 
सरकारी नौकरी की आश में बेरोजगार 

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2 Comments

  1. Bahut sundar vichar . Ma Saraswati ki kripa aapki kalam pe bani rahe.
    Jai Baba Budhakedar...
    Jai Guru Kailapeer....

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  2. Bahut sundar vichar.. Ma Saraswati ki kripa aapki kalam pe bani rahe... Jai Baba Budhakedar... Jai Guru Kailapeer

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