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चुनावी प्रत्याशी जनता की उम्मीदों पर क्यों खरा नही उतरते ?

कुछ लोग बीजेपी का विरोध कर रहे है तो कुछ कांग्रेस व उक्रांद का और ये दल विरोध कर रहे है आप का लेकिन विरोध लोग किस बात का कर रहे है और जो विरोध कर रहे है वो समर्थन किस बात का कर रहे है? 

आज तक सभी लोग, चुनाव में जीत वाले तमाम सभी प्रत्याशियों को देखते आ रहे है, कोई है उनमें दमदार जिसने जनता के भले के लिए सोचा हो या जनता की समस्या के लिए सरकार से लडा हो? 
लोग समर्थन व विरोध केवल लोभ के लिए करते आ रहे है जिसका परिणाम समस्त उतराखण्ड देखता आ रहा है, चुनाव के समय सबकी बुद्धि केवल क्षेत्रवाद जातिवाग भाई-बन्धुवाद ही सोचती है, क्या कभी किसी ने सोचा एक अनपढ व्यक्ति कैसे पद को संभालेगा, जिसे देश की रीढ का ही पता ना हो? जिसने राजनीतिशास्त्र के एक पहलू को भी न जाना हो वो कैसे राजनीति का यश्वस्वी नेता बन रहा है? 

आज सब लोग विकसित विचार धारा व एजुकेटेड हो गये है लेकिन अब तक ये समझ नही पाये कि हमे कैसे प्रत्याशी को वोट करना है, आखिरकार लोगों ने  बोतल, मुर्गा, पैसा व विभिन्न प्रकार की घटिया कूट नीति के वाद के चक्कर मे पूरे प्रदेश का बेडागर्ग कर रखा है 
समस्याओं का निराकरण होता क्या है? यदि किसी विधानसभा से कोई उम्मीदवार जीतता है तो उसकी जिम्मेदारी होती है कि वह प्रत्येक गॉव-गॉव जाकर समस्या का निराकरण करें 
लेकिन अपने यहां तो नेताओं को आम जनता चेता रही है कि ऐसा करो, वैसा करो ये सब क्या रबिस चल रहा है?  कोई पूछने वाला नही कि भय्या तुम यहां के नेता हो तुम्हे चुना क्यों गया है केवल गाडी रोब माला का भौकाल करने या काम करने के लिए? 

लेकिन जनता को इससे कहा मतलब उसे तो क्षेत्रवाद करना है जातिवाद करना है भाई-भतीजावाद करना है फिर चाहे उनके बच्चों का भविष्य बर्बाद ही क्यों न हो रहा हो 

स्कूल पे आज तक न ही बीजेपी का ध्यान गया ना ही कांग्रेस का वो मैटर नही करता जनता को तो बस  वादों को बढावा देना है फिर चाहे बच्चे लुंड-लफाडे ही क्यों न बने, फिर भी कोई माता पिता ये नही सोच रहे कि बच्चों को अफसर बनाना है. 
भय्या इसका एक ही समाधान है पढाई, आपका धर्म खतरे मे नही है बल्कि शिक्षा खतरे मे है, केवल क्षेत्रवाद जातिवाद और भाईभतीजावाद के चक्कर में 

पार्टी जनता से होती है, न कि पार्टी से जनता 
हमारे लिए वही हक की पार्टी है जो आम जनता की समस्या का हल निकाले, बाकी हमने कौनसा रिस्तेदारी जोडनी है किसी पार्टी से जो गलत होने के बाद भी सही का बिगुल पेलते रहे 

वोट का सही प्रयोग करना सीखों, वही तुम्हारे लिए आवाज बनकर उठेगा, 
वरना चीख पुकार करते रह जाओगे तुम्हारी कोई नही सुनेगा...





                            विचारक-सागर सुनार बूढाकेदारिया

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