प्रवासी कैनेडियन दम्पति-
"जीवन संघर्ष को पार कर समाजसेवा की ओर अग्रसर"
"विदेश की धरती मे रह कर भी अपने उतराखण्ड के गॉव लोग समाज के लिए करते हैं हर संभव सहयोग"...
महासरनाग की पवित्र स्थली बिशन गॉव के एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले आदरणीय विनोद गुसांई जी एक कैनेडियन प्रवासी है जो सपरिवार विदेश की धरती मे रहते हैं, लेकिन अपने पहाड और देश को दिल मे संजोय उतराखण्ड के गॉव, क्षेत्र और समाज के लिए सात समंदर पार से भी हर संभव सहयोग हेतु अग्रिण रहते हैं।
विनोद गुसांई जी का जन्म न्याय पंचायत थाती बूढाकेदार के बिशन गॉव मे स्व. श्री कलम सिंह गुसांई व श्रीमती डब्बली देवी जी के घर पर हुआ। अपनी प्रारंभिक शिक्षा के लिए बिशन से थाती गॉव होते हुए रोज विनयखाल आना-जाना बेहद कठिनाइयों से भरा होता था। परिवार की स्थिति को देखते हुए विनोद गुसांई जी को बीच मे ही अपनी पढाई छोड कर नौकरी की तलाश मे मुम्बई जाना पडा। जहां उन्होने काफी समय तक संघर्ष भरा जीवन व्यतीत किया।
घर की स्थिति और बुजुर्ग मां के साथ के लिए 1996 मे इन्होने पूर्बा गुसांई से विवाह किया। लगभग पांच साल घर मे ही रहकर लम्बे समय के कठिन परिश्रम के पश्चात सन् 2000 मे पहली बार विनोद जी को मसकट (विदेश) जाने का अवसर मिला, लेकिन तबियत खराब होने के कारण नौकरी छोड पुन: अपने गॉव बिशन आ गए, जहां परिवार की जिम्मेदारियों को उठाना मुश्किल होने लगा जिसके कारण परिवार की स्थिति को देख कर उन्होने दिल्ली जाने का निर्णय लिया। जिसके बाद समय ने करवट ली और विनोद गुसांई जी को जर्मनी से बुलावा आया। धीरे धीरे समय के साथ बेटा और बेटी का जन्म हुआ जिसने उनकी किस्मत के सारे द्वार खोल दिए और वह जर्मनी से ही नौकरी के लिए कनाडा चले गए।
अपनी माता-पिता के संस्कारों व महासरनाग देवता की करुणा ने विनोद गुसांई जी के मन को बेहद प्रभावित किया। मन मे बचपन से ही सभी चीजों के अभाव और संघर्ष भरे जीवन ने अपने लोगों के प्रति सहयोग भावना को जागृत किया जो आज सपरिवार कनाडा मे रहते हुए भी हर पल गॉव, समाज प्रदेश के लिए सोचते हैं, जिनकी सोच को साकर करने कि लिए शक्ति के रूप मे उनकी धर्मपत्नी एवं बच्चों के साथ ने उन्हे हमेशा ऊर्जा प्रदान की ।
विनोद जी के बचपन मे हर चीज का अभाव और कनाडा तक का पहुंचने के लिए कठिन परिश्रम ने उन्हें जीवन मे एक दिशा प्रदान की। जिस दिशा ने उन्हे समाजसेवा का उद्देश्य दिया कि अपने आर्थिक अंश से वह हर जरूरतमंद की मदद करेंगे तथा विपदा की घडी मे हर एक असहाय को सहयोग देंगे।
कोरोना काल के समय कनाडा मे इनका पूरा परिवार कोरोना पॉजिटिव था लेकिन फिर भी गोनगढ क्षेत्र और थाती बूढाकेदार क्षेत्र मे इन्होने सेकडों लोगों को राशन उपलब्ध करवायी।
बूढाकेदार क्षेत्र में आयी प्रलयकारी दैवीय आपदा (2024 जुलाई) मे सम्पूर्ण घाटी एंव नैलचामी क्षेत्र मे हुई तबाही से कई परिवार प्रभावित हुए। पीडित परिवारों के लिए कनाडा मे रहते हुए भी एक राहत टीम का गठन कर गॉव-गॉव, घर-घर जाकर राशन, बिस्तर, कपडे आदि पहुंचाने वाले विनोद गुसांई जी ने हर समय लोगों के लिए अपने व अपने परिवार के सहयोग से मदद की।
यह परिवार केवल अपने क्षेत्र ही नही बल्कि पूरे प्रदेश मे लोगों की मदद के लिए आगे रहा फिर चाहे धराली (उत्तरकाशी) आपदा मे सहयोग हो या मंदार या चमोली मे किसी परिवार की मदद हो, अथवा प्रवासी भाइयों के दुख-परेशानी का समय, बच्चों की सहमती और पत्नी के सहयोग से परिवार के आर्थिक अंश को जोडकर यह परिवार सबका सहयोग देता है। जबकि खुद कठिन परिश्रम से कनाडा मे अपने बच्चों की उच्च शिक्षा के बावजूद भी लोगों की सेवा करने वाले आदरणीय विनोद गुसांई जी जैसे बहुत कम लोग हैं जो हमारे क्षेत्र का गौरव हैं।
2024 जुलाई की आपदा मे जब पहली बार विनोद गुसांई जी ने मुझे कॉल की तो मैं यही सोचता रहा कि कोई व्यक्ति विदेश की भूमि से अपने क्षेत्र के प्रति कितने चिंतित हैं जो विदेश की नौकरी एवं भारत व कनाडा के समयांतराल के बावजूद भी एक दो-घण्टे तक पेड कॉलिंग कर हमेशा कुशलता पूछते रहे। किस परिवार को सहयोग चाहिए प्रत्येक दिन सूची मांगते रहे और लगभग एक-दो माह तक एक-एक परिवार की मदद करने के लिए कनाडा से अपनी टीम को दिशा-निर्देश देते रहे। सच मे उनके अन्दर अपने गॉव, क्षेत्र समाज व समाज के लोगों के प्रति-प्रेम भाव को मैने तब महसूस किया था।
जिस प्रकार पेड़ अपने फल स्वयं नही खाता,
सरोवर अपना जल स्वयं नही पीती उसी प्रकार
एक अच्छे व्यक्ति द्वारा अर्जित धन-सम्पत्ति का उपयोग केवल अपने लिए नही बल्कि पूरे समाज के कल्याण हेतु किया जाता है।
आदरणीय विनोद गुसांई एवं श्रीमती पूर्बा गुसाई जी जैसे मानवता की मिशाल प्रवासी कैनेडियन दम्पति हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। कि अपनी आजीविका से कुछ अंश यदि किसी के सहयोग के लिए दान किया जाए उससे बडा पुण्य कुछ नही। क्योंकि विनोद गुसांई जी का कहना है अपने साथ दान-पुण्य के सिवा कुछ नही जाता सब यही छूट जाता है।
महासरनाग देवता की भूमि पर जन्मे ऐसे महान लाल का हमारे क्षेत्र से होना हमे भी गौरवांवित करता है कि आज भी हमारे समाज मे ऐसे महान व्यक्तित्व हैं जिनके सहारे कई परिवारों को सहयोग मिलता रहता है। मैं ऐसी मां को शत-शत प्रणाम करता हूं जिनके कोख ने विनोद गुसांई जैसे पुत्र को जन्म दिया। जो लोगों की सहायता के लिए हर संभव सहयोग देते आ रहे हैं।
क्षेत्राधिपति श्री गुरूकैलापीर देवता एवं महासरनाग देवता से आपके व आपके परिवार की कुशलता की कामना करता हूं।
लेखन- सागर सुनार बूढाकेदारिया

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